Friday, November 6, 2009

Main kisi ko acchi lagi

वजह है मेरे ख़ुशी की,
मिली है आज तारीफ किसी की.
वैसे तो तारीफ मिली है इससे पहले भी ,
पर बहुमूल्य है ये तारीफ किसी ख़ास इंसान की.
उसने पुछा - मैं अच्छी क्यूँ हूँ?
अब इसका क्या जवाब दूं?
मैं तो बचपन से ही ऐसी हूँ.
मेरे जैसे तो लाखों होंगे, उसे सिर्फ मैं अच्छी दिखी.
मुझे उसकी तारीफ इतनी अच्छी लगी की,मैंने इस पर एक कविता लिख दी.
कई सालों के बाद ही सही, पर कोई तो है जिसको मैं अच्छी लगी.

3 comments:

Vikas said...

Hahaahah ..
Nice one ..
Keep up .. c

swathi's said...

tum kise achchi nahi lagti ho bolo?

Anonymous said...

tum toe sabko acchi lagne wali mein se hoe...I m sure is rate mein har din ek naya poem hona chahiye ..Meenakshi