न चाहते हुए भी आती है, पुराणी बातें याद,
यादें जो छोर चुकी है एक गहरी दाग.
सोचा था नहीं करूंगी याद ऐसी कोई भी बात.
जो बिताई थी तुम्हारे साथ.
देती हूँ सलहा दोसरों को,
की आसान है भुलाना बीती बातों को,
पर क्या पता है यह उनको,
की हम भी कभी-कभी करते हैं याद उन लम्हों को.
था पूरा यकीन मुझे खुद पर,
भुलाने के लिए चाहिए थे कुछ पल,
पर कुछ घाव इतने गहरे होते हैं की,
छोर जाते हैं गहरी दाग ज़िंदगी भर.
9.30 pm,
23 nov 09.
Wednesday, November 25, 2009
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1 comment:
jab koi kaam nahi hota aur hamara dimmag khaali baiththa hai...tab aise cheeze yaad aati hu..do something productive honey! leave puraani baatein which r of no use
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