Sunday, December 20, 2009

मेरी अधूरी कल्पना

कल्पना है एक ऐसे देश का,
जहाँ सभी बोले एक ही भाषा.
ना हो कोई भेद भाव,जहाँ
प्रजा को मिले सभी सुविधा.
हजारों देशों को जोद्रकर बने वह देश,
आदर हो जहाँ सभी प्राचीन सभ्यताओं का.
एक भाषा जैसा एक धर्मी देश हो वो,
पालन हो जहाँ, धर्म इन्सानियेत का.
मेरे कल्पना वाले देश में सभी का आदर होगा,
प्रकृति के हर वरदान का सम्मान भी किया जाएगा.
आधुनिकता से परे नहीं होगा वो देश,
साथ ही प्राचीन ज्ञान का भी अध्यन होगा.
यह मेरी कल्पना का एक टुकरा था,जो मुझे पता है कभी सच नहीं होगा.

1 comment:

swathi's said...

hope your dream comes true :)