देखते हैं हम उन्हें, हम अपने ज़ुल्फूं की आर से.
वो हैं जिन्हें वास्ता नहीं है हमारी मौजूदगी से.
रहते हैं हर पल मशरूफ वो अपने काम में,
हम हैं की बस उन्हें निहारतें हैं मन ही मन में.
कमी नहीं है जिन्दगी में उनके, दोस्तों की,
खुदा करे हम भी शामिल हो उनके दोस्तों में कभी.
उन्हें मतलब है अपने काम से, हमें चाह है उनके साथ से.
Wednesday, January 7, 2009
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1 comment:
kaun hai yeh janaab...zaraa hume bhi bataayiye..khush ho jayenge :)
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